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महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का प्रेरणादायी जीवन
by guideway360

विश्व स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त वैज्ञानिकों में स्टीफन हाकिंग (Stephen Hawking) अपने आप में विलक्षण है | विलक्षण इस अर्थ में है कि उनका शरीर उनका साथ नही देता वे Wheel Chair पर बैठे हुए रहते है लेकिन दुनिया उनकी योग्यता और बुद्धिमता के आगे मस्तक झुकाती है |
Born: 8 January 1942, Oxford, United Kingdom
Died: 14 March 2018, Cambridge, United Kingdom
Movies and TV shows: Into the Universe with Stephen Hawking, MORE
Spouse: Elaine Mason (m. 1995–2006), Jane Hawking (m. 1965–1995)
१९८० में नासा में हॉकिंग
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| जन्म | स्टीवन विलियम हॉकिंग 8 जनवरी 1942 ऑक्सफोर्ड, इंग्लैण्ड |
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| मृत्यु | 14 मार्च 2018 (उम्र 76) |
| आवास | यूनाइटेड किंगडम |
| राष्ट्रीयता | ब्रितानी |
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| संस्थान |
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| शिक्षा |
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| डॉक्टरी सलाहकार | डेनिस स्कियमा |
| अन्य अकादमी सलाहकार | रॉबर्ट बर्मन |
| डॉक्टरी शिष्य |
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| प्रसिद्धि |
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| उल्लेखनीय सम्मान |
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मै अभी और जीना चाहता हूँ।
ये कथन किसी और के नहीं विश्व के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग के हैं, जो उन्होंने अपने 70 वें जन्म दिन के दिन कहे थे, जिसे सुन के दुनिया एक पल के लिए अचंभित सी रह गयी। आइये आज हम इस प्रतिभावान वैज्ञानिक के प्रेरणादायक जीवन के बारे में जानते हैं ।
8 जनवरी सन_ 1942 के दिन इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड शहर में फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग दंपत्ति के यहाँ स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म हुआ, गौरतलब है कि विश्व के एक अन्य महान वैज्ञानिक गलीलियो गेलीली और स्टीफन हॉकिंग की जन्म तिथि एक ही है।बचपन से ही हॉकिंग असीम बुद्धिमत्ता से भरे हुए थे जो लोगो को चौका देती थी । हॉकिंग अपने पिता फ्रेंक द्वारा लिए एक दत्तक पुत्र और अपनी दो बहनों में सबसे बड़े थे।उनके पिता डॉक्टर थे और माँ एक हाउस वाइफ थीं। स्टीफन हॉकिंग की बुद्धि का परिचय इसी बात से लगाया जा सकता है की बचपन में लोग उन्हें “आइंस्टीन” कह के पुकारते थे।
जब हॉकिंग पैदा होने वाले थे तब उनका परिवार लन्दन में था लेकिन दुसरे विश्व युद्ध के कारण वो ऑक्सफ़ोर्ड में आके बस गए, और 11 साल बाद सेंट एलेबेस में आ गए जहा हॉकिंग की शुरुआती शिक्षा हुई ।बचपन से ही स्टीफन गणित विषय में गहरी रूचि थी ,लेकिन उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे ।खैर उस समय गणित विषय न होने के कारण उन्होंने आगे की पढाई भौतिकी विषय लेकर शुरू की और आगे जा के भारतीय वैज्ञानिक “जयंत नार्लीकर “ के सलाह से उन्होंने अपने मनपसंद विषय गणित को ध्यान में रख कर कोस्मोलोजी विषय का चयन किया ।उन्होंने अपनी पी.एच.डी के लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की परीक्षा पास की और अपनी आगे की पढाई शुरू की।
जब वो 21 साल के थे तो एक बार छुट्टिय मानाने के मानाने के लिए अपने घर पर आये हुए थे , वो सीढ़ी से उतर रहे थे की तभी उन्हें बेहोशी का एहसास हुआ और वो तुरंत ही नीचे गिर पड़े।उन्हें डॉक्टर के पास ले जायेगा शुरू में तो सब ने उसे मात्र एक कमजोरी के कारण हुई घटना मानी पर बार-बार ऐसा होने पर उन्हें बड़े डोक्टरो के पास ले जाया गया , जहाँ ये पता लगा कि वो एक अनजान और कभी न ठीक होने वाली बीमारी से ग्रस्त है जिसका नाम है न्यूरॉन मोर्टार डीसीस ।इस बीमारी में शारीर के सारे अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है।और अंत में श्वास नली भी बंद हो जाने से मरीज घुट घुट के मर जाता है।
डॉक्टरों ने कहा हॉकिंग बस 2 साल के मेहमान है। लेकिन हॉकिंग ने अपनी इच्छा शक्ति पर पूरी पकड़ बना ली थी और उन्होंने कहा की मैं 2 नहीं २० नहीं पूरे ५० सालो तक जियूँगा । उस समय सबने उन्हें दिलासा देने के लिए हाँ में हाँ मिला दी थी, पर आज दुनिया जानती है की हॉकिंग ने जो कहा वो कर के दिखाया ।
अपनी इसी बीमारी के बीच में ही उन्होंने अपनी पीएचडीपूरी की और अपनी प्रेमिका जेन वाइल्ड से विवाह किया तब तक हॉकिंग का पूरा दाहिना हिस्सा ख़राब हो चूका था वो stick के सहारे चलते थे ।
अब हॉकिंग ने अपने वैज्ञानिक जीवन का सफ़र शुरू किया और धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी। लेकिन वही दूसरी और उनका शरीर भी उनका साथ छोड़ता चला गया धीरे – धीरे उनका बायाँ हिस्सा भी बंद पड़ गया।लेकिन उन्होंने इन सब चीजों पे ध्यान न देकर अपनी विज्ञान की दुनिया पे ही ध्यान दिया। बीमारी बढ़ने पर उन्हें व्हील चेयर की जरूरत हुई , उन्हें वो भी दे दी गयी और उनकी ये चेयर तकनिकी रूप से काफी सुसज्जित थी।
चिकित्सको को जब इस बीमारी का पता चला तो उन्होंने यहाँ तक कह डाला था कि अब स्टीफन हाकिंग ज्यादा दिनों तक जीवित नही रह सकेंगे लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी बीमारी को कमजोरी नही बनने दिया | जब हाकिंग 21 साल के थे उन्हें एम्योट्रोफिक लेटरल स्कलोरेसिस नामक बीमारी की वजह से लकवा मार गया | हाकिंग को जब यह पता चला कि वे मोटर न्यूरोन डिजिज से पीड़ित है तो उन्होंने हिम्मत नही हारी | उन्होंने पुरी ज़िंदादिली के साथ जीने का निश्चय किया |
लोग यूँही देखते चले गए और हॉकिंग मौत को मात पे मात देते रहे ।। उनकी इच्छा शक्ति ने मानो उन्हें मृत्युंजय बना दिया हो । इसी बीच हॉकिंग तीन बच्चो के पिता भी बने। यही कहा जा सकता है हॉकिंग सिर्फ शारीरिक रूप से अपांग हुए थे ना की मानसिक रूप से । उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में लिया।वो अपने मार्ग पे आगे बढ़ते चले गए और दुनिया को दिखाते चले गये की उनकी इच्छा शक्ति और उनकी बुद्धि मत्ता कम नहीं आंकी जा सकती ।
उन्होंने ब्लैक होल का कांसेप्ट दुनिया को दिया, उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन का विचार भी दुनिया को दिया । और उनकी लिखी गयी किताब “A BRIEF HISTORY OF TIME “ ने दुनिया भर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया।
सन 1995 में उनकी पहली पत्नी जेन वाइल्ड ने उन्हें तलाक दे दिया और हॉकिंग की दूसरी शादी हुई इलियाना मेसन से जिन्होंने उन्हें 2006 में तलाक दिया। पहली से पत्नी तलाक मिलने का कारण यह मन जाता है की जेन एक धार्मिक स्त्री थी जबकि हॉकिंग हमेशा से भगवान के अस्तित्व को चुनौती देते थे।जिसके कारण दुनिया भर में हॉकिंग की काफी किरकिरी भी हुई लेकिन इन सब से दूर हॉकिंग अपनी खोजो पे आगे बढ़ते गये और दुनिया को बता दिया की अपंगता तन से होती है मन से नहीं।
हॉकिंग का IQ 160 है जो किसी जीनियस से भी कहीं ज्यादाहै। 2007 में उन्होंने अंतरिक्ष की सैर भी की । जिसमे वो शारीरिक तौर पे “फिट “ पाए गए। आज उन्हें भौतिकी के छोटे बड़े कुल 12 पुरस्कारों से नवाज़ा जा चूका है।लेकिन आज भी वो बस अपनी इच्छा शक्ति के दम पे अपनी जिन्दगी जिए जा रहे है और हमारी यही दुआ है की वो ऐसे ही जीते रहे और हमे नित नयी खोजों से अवगत कराते रहें।
एक परिवार के प्रवक्ता के मुताबिक, 14 मार्च 2018 की सुबह अपने घर कैंब्रिज में 'हॉकिंग की मृत्यु हो गई थी। उनके परिवार ने उनके दुःख व्यक्त करने वाले एक बयान जारी किया था
वे जिस व्हील चेयर पर रहते है वह कोई सामान्य व्हील चेयर नही है इसमें वे सारे उपकरण लगे हुए है जिसके माध्यम से वे विज्ञान के अनसुलझे रहस्यों के बारे में दुनिया को बताते है | उनकी व्हील चेयर के साथ एक विशेष कंप्यूटर और स्पीच सिंथेसाइजर लगा हुआ है जिसके सहारे वे पुरी दुनिया से बात करते है हाकिंग का सिस्टम इन्फ्रारेड ब्लिंक स्विच से जुड़ा हुआ है जो उनके चश्मे में लगाया गया है | इसी के माध्यम से वे बोलते है | इसके अलावा उनके घर और ऑफिस के गेट रेडियो ट्रांसमिशन से जुड़ा हुआ है |
वैज्ञानिकों के संसार में जिस क्षेत्र में योगदान के लिए स्टीफन हाकिंग ने प्रसिद्धि प्राप्त की है वह cosmology | कॉस्मोलोजी जिसके अंतर्गत ब्रह्मांड की उत्पति ,सरंचना और स्पेस-टाइम रिलेशनशिप के बारे में अध्ययन किया जाता है | उन्हें कॉस्मोलोजी का विशेषज्ञ माना जाता है जिसकी बदौलत वे Theory of Big Bang और Black Holes की नई परिभाषा गढ़ पाने में कामयाब हो सके | स्टीफन की चर्चित किताब A Brief History of Time दुनिया की अमूल्य पुस्तको में से एक है |
स्टीफन (Stephen Hawking) को उनके योगदानो के कारण अब तक लगभग 12 सम्मानित पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है | वे रॉयल सोसाइटी एवं US नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंस के एक सम्मानित मेम्बर भी है | 12 अगस्त 2009 को उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान “स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक” बराक ओबामा के हाथो प्राप्त हुआ | आज दुनिया हाकिंग (Stephen Hawking) को सैधांतिक भौतिकी विज्ञानी और गणितज्ञ के रूप में जानते है
बड़े दुःख के साथ हमें इस पोस्ट को अपडेट करना पड़ रहा है कि 14 मार्च 2018 को 76 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
| “ | मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ब्रह्माण्ड को समझने में अपनी भूमिका निभाई। इसके रहस्य लोगों के सामने खोले और इस पर किये गये शोध में अपना योगदान दे पाया। मुझे गर्व होता है जब लोगों की भीड़ मेरे काम को जानना चाहती है। | ” |
—स्टीफन हॉकिंग[6]
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- इच्छामृत्यु पर विचार
| “ | लगभग सभी मांसपेशियों से मेरा नियंत्रण खो चुका है और अब मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूँ। | ” |
—स्टीफन हॉकिंग[6]
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